मुसाफ़िर Cafe की चर्चा लोकमत समाचार | लोकरंग के 13 नवंबर 2016 के नागपुर संस्करण में !
आधुनिक समाज को प्रतिबिंबित करता उपन्यास
पिछले कुछ सालों में जमाना तेजी से बदला है ! खासकर महानगरों में रहनेवाले युवा वर्ग की जीवन शैली में आमूलचूल बदलाव आया है ! नई पीढ़ी के युवा कथाकारों ने इस बदलाव को बयां करने के लिए नई शब्दावली गढ़ी है, जिनमें से एक प्रमुख नाम है दिव्य प्रकाश दुबे का ! उनका उपन्यास 'मुसाफिर कैफे' इस आधुनिक जीवन शैली को पूरी बेबाकी के साथ प्रस्तुत करता है !
आधुनिक समाज को प्रतिबिंबित करता उपन्यास
पिछले कुछ सालों में जमाना तेजी से बदला है ! खासकर महानगरों में रहनेवाले युवा वर्ग की जीवन शैली में आमूलचूल बदलाव आया है ! नई पीढ़ी के युवा कथाकारों ने इस बदलाव को बयां करने के लिए नई शब्दावली गढ़ी है, जिनमें से एक प्रमुख नाम है दिव्य प्रकाश दुबे का ! उनका उपन्यास 'मुसाफिर कैफे' इस आधुनिक जीवन शैली को पूरी बेबाकी के साथ प्रस्तुत करता है !
उपन्यास में युवा जोडे. सुधा और चंदर की कहानी है जो लिव इन में रहता है ! सुधा को व्यक्तिगत कारणों से शादी के नाम से ही चिढ है, जबकि शुरुआती अनिच्छा के बाद चंदर चाहने लगता है कि उनकी शादी हो जाए ! जब उसे पता चलता है कि सुधा प्रेग्नेंट है तो वह शादी के लिए दबाव बढ़ा देता है, लेकिन सुधा की अनिच्छा से चिढ कर घर से दूर चला जाता है ! घूमते-घामते जब वह मसूरी पहुंचता है तो वहां उसकी मुलाकात पम्मी से होती है ! वे दोनों मिलकर वहां एक कैफे खरीदते हैं, जिसका नाम रखते हैं 'मुसाफिर कैफे' ! समय अपनी गति से गुजरता रहता है और दस साल बाद एक बार फिर सुधा और चंदर की मुलाकात होती है, जहां उनका बेटा भी साथ होता है ! इसके बाद चंदर, सुधा, उनका बेटा और पम्मी सब साथ रहने लगते हैं तथा उपन्यास का सुखद अंत होता है !
जाहिर है कि लेखक ने हर तरह के बंधन से मुक्त जीवन जीने के आदी युवा वर्ग के उन्मुक्त जीवन को एक आदर्शवादी अंजाम तक पहुंचाने की कोशिश की है, जो हकीकत से मेल नहीं खाता ! यहीं पर उपन्यास कमजोर पड जाता है ! लेकिन इसमें कोई शक नहीं कि लेखक ने भाषा की नई जमीन तोड़ी है, जो नई पीढ़ी के मनोभावों को व्यक्त करने में सक्षम है ! उपन्यास समाज की पुरानी वर्जनाओं को तोड.ता है और इसमें सेक्स का भी उतनी ही सहजता से वर्णन है जितना किसी और चीज का ! इसके चलते भाषा कहीं-कहीं भदेस हो जाती है, लेकिन साहित्य अगर समाज का दर्पण है तो इसे गलत भी नहीं कहा जा सकता ! यह आधुनिक समाज का ही प्रतिबिंब है ! उपन्यास का प्रकाशन दिल्ली के हिंद युग्म प्रकाशन ने किया है !
- हेमधर शर्मा
About the Book Musafir Cafe
Musafir Cafe is the Latest Hindi Novel written by the Best Selling Young Author Divya Prakash Dubey. The Book is available on all the leading Online and Offline stores in India.
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epaper Lokmat | Lokrang 13 Nov 2016 Nagpur Edition Page No 2
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