मुसाफ़िर Cafe की चर्चा हिन्दुस्तान के 6 नवंबर 2016 के दिल्ली संस्करण में
पिछले कुछ समय से हिंदी की साहित्यिक दुनिया में ऐसे युवाओं ने दस्तक दी है, जो साहित्यिक या असाहित्यिक माने जाने की परवाह किए बगैर अपनी बात कहने पर जोर देते रहे हैं। इनकी भाषा ही नहीं, इनकी कहानी भी हिंदी साहित्य के खांचे से काफी कुछ अलग है, जिसे नया कहा जा सकता है।
जो लोग साहित्य से कुछ गूढ़ और शाश्वत का अर्थ लगाते हैं, उनके लिए इन युवाओं का लेखन काम का नहीं होगा। लेकिन जिन्हें मेट्रो या रेल के सफर में अकेले बैठे-ठाले कुछ पढ़ कर टाइमपास करने की जरूरत महसूस होती है, वे इन युवा लेखकों की किताब से सहारा पा सकते हैं। दिव्यप्रकाश दुबे नए दौर के नए और युवा लेखक हैं, जिनके उपन्यास ‘मुसाफिर कैफे’ में खासी पठनीयता है। इसमें नए दौर के सुधा-चंदर की कहानी कही गई है, जो आपको अपने आसपास की कहानी लग सकती है।
जो लोग साहित्य से कुछ गूढ़ और शाश्वत का अर्थ लगाते हैं, उनके लिए इन युवाओं का लेखन काम का नहीं होगा। लेकिन जिन्हें मेट्रो या रेल के सफर में अकेले बैठे-ठाले कुछ पढ़ कर टाइमपास करने की जरूरत महसूस होती है, वे इन युवा लेखकों की किताब से सहारा पा सकते हैं। दिव्यप्रकाश दुबे नए दौर के नए और युवा लेखक हैं, जिनके उपन्यास ‘मुसाफिर कैफे’ में खासी पठनीयता है। इसमें नए दौर के सुधा-चंदर की कहानी कही गई है, जो आपको अपने आसपास की कहानी लग सकती है।
पुस्तक : मुसाफिर कैफे (Musafir Cafe Available on Amazon India)
लेखक : दिव्य प्रकाश दुबे
प्रकाशक : वेस्टलैंड लिमिटेड,चेन्नई
मूल्य : 150 रुपये
Musafir Cafe is the Latest Hindi Novel written by the Best Selling Young Author Divya Prakash Dubey. The Book is available on all the leading Online and Offline stores in India.
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